Manav Bhugol ki Paribhasha- मानव भूगोल की परिभाषा

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Manav Bhugol ki Paribhasha

भूगोल की परिभाषा- Manav Bhugol ki Paribhasha

भूगोल वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। भूगोल पृथ्वी के भौतिक एवं मानवीय तत्वों का अध्ययन करता है। यह एक समाकलात्मक , अनुभविक , व्यावहारिक विषय है और दिक् (देश ,क्षेत्र ) एवं काल के संबंध में परिवर्तित होने वाली घटनाओ एवं परिघटनाओं का अध्ययन करता है।

भूगोल को दो मुख्य भागो मे बंटा गया है।
  • भौतिक भूगोल
  • मानव भूगोल
भौतिक भूगोल की परिभाषा 

भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं। पृथ्वी के भौतिक तत्वों जैसे जल (महासागर ,नदियाँ ,झील ,भूमिगत जल इत्यादि ) वायुमंडल ( संगठन ,संरचना , वायुपरिसंचरन , वायुदाब ,वर्षा, बदल इत्यादि ) स्थलमंडल (स्थलाकृतियाँ — पर्वत , पठार , मैदान इत्यादि ) का अध्ययन किया जाता है।
      यह धरातल पर अलग अलग जगह पायी जाने वाली भौतिक परिघटनाओं के वितरण की व्याख्या व अध्ययन करता है, साथ ही यह भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, जन्तु विज्ञान और रसायनशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कई उपशाखाएँ हैं जो विविध भौतिक परिघटनाओं की विवेचना करती हैं।

मानव भूगोल की परिभाषा 

मानव भूगोल भूगोल का प्राथमिक अंग है, जिसके अंतर्गत मनुष्य का उसकी वर्तमान परिस्थिति से सम्बन्ध आदि से लेकर अभी तक पर विचार किया जाता है। यह भूगोल के सबसे प्रसिद्ध और आम तौर पर स्वीकृत अर्थों में से एक है।
      भूगोल एक काफी महत्वपूर्ण सब्जेक्ट है जिसके अंतर्गत हमें पृथ्वी के धरातल को समझने में काफी मदद मिलती है। इस के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, कि भूगोल का जनक किसे कहा जाता है। इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी कई जानकारी देने वाले हैं। यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण है, तो इसको अंत तक जरूर पढ़िए।

मानव भूगोल का जनक किसे कहा जाता है?

कार्ल रिटर को मानव भूगोल का जनक कहा जाता है। इन्ही के द्वारा शुरुआती समय में मानव भूगोल के बारे में जानकारी दी गई थी, जिसके कारण उन्हें मानव भूगोल का जनक भी कहा जाता है। आधुनिक भूगोल के संस्थापकों में से एक और बर्लिन के हम्बोल्ट विश्वविद्यालय में भूगोल में पहली कुर्सी में से एक माना जाता है, उन्होंने अपने कार्यों में कार्बनिक समानता के उपयोग के लिए भी उल्लेख किया।

कार्ल रिटर के बारे में 

जन्म-कार्ल रिटर का जन्म 7 अगस्त, 1779 ई॰ को जर्मनी क्वेडलिनबर्ग नामक स्थान पर हुआ
मृत्यु-रिटर की मृत्यु 28 सितम्बर 1859 ई॰ को बर्लिन में हुयी।
पुस्तक– Geographycal Studies, The Comparative Geography

रिटर के पिता एक चिकित्सक थे और उनकी मृत्यु तभी हो गयी जब कार्ल रिटर की उम्र मात्र पांच साल थी। स्नेप्फेन्थल में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद रिटर को फ्रैंकफर्ट के एक बैंकर प्राइवेट नौकरी मिली। नौकरी के दौरान ही हाले विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। ये इतिहास भी पढ़ाया करते थे। 1821 में उन्होंने डॉक्टरेट हासिल की। इन्होंने चालीस वर्षों तक, बर्लिन विश्वविद्यालय की सेवा की।

Manav Bhugol ki Paribhasha

मानव भूगोल

यह भूगोल की प्रमुख शाखा हैं जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। इसकी की एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहु अनुमोदित परिभाषा है, मानव एवं उसका प्राकृतिक पर्यावरण के साथ समायोजन का अध्ययन।

      इस में पृथ्वी तल पर मानवीय तथ्यों के स्थानिक वितरणों का अर्थात् विभिन्न प्रदेशों के मानव-वर्गों द्वारा किये गये वातावरण समायोजनों और स्थानिक संगठनों का अध्ययन किया जाता है। मानव-वर्गो और उनके वातावरणों की शक्तियों, प्रभावों तथा प्रतिक्रियाओं के पारस्परिक कार्यात्मक सम्वन्धों का अध्ययन, प्रादेशिक आधार पर किया जाता है। जिग्यासावान मनुष्य पर प्रगतिशील प्रकृति के नियंत्रण व समन्वय का अध्ययन हैं ।

इसमें पृथ्वी की सतहों और मानव समुदायों के बीच सम्बंधों का संश्लेषित अध्ययन होता है। यह तीन संघटकों से निकटतम रूप में जुड़ा हैः

मानवीय जनसंख्या का स्थानिक विश्लेषण

मानवीय जनसंख्या और पर्यावरण के बीच के संबंधों का पारिस्थितिक भूगोल
विश्लेषण और प्रादेशिक सश्लेषण, जो कि धरातल के क्षेत्रीय विभेदीकरण में पहली दोनों विषयवस्तुओं को जोड़ता है।

मानव भूगोल का महत्व

इसका महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत के विश्वविद्यालयों में इसके अध्ययन में अधिक रूचि ली जा रही है। पिछले लगभग 40 सालों में मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र का विकास हुआ है। और संसार के विभिन्न देशों में वहाँ की जनसंख्या की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उन्नति के लिये संसाधन-योजना में इसके ज्ञान का प्रयोग किया जा रहा है।

रेटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल के के दृश्य सर्वत्र पर्यावरण से संबंधित होता है जो की स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग्य होता है।
इनके शिष्या व प्रसिद्ध अमेरिकन भूगोलवेत्ता एलन सैम्पल के अनुसार ” मानव भूगोल चंचल मानव और अस्थायी धरती के पारस्पपरिक परिवर्तनशील सम्बन्धो का अध्ययन है ।

मानव भूगोल के शाखाएं

प्रो. राॅक्सबी ने मानव भूगोल निम्न शाखाओं में विभाजित किया है- 1. आर्थिक भूगोल, 2. सामाजिक भूगोल, 3. राजनीतिक भूगोल, 4. ऐतिहासिक भूगोल, 5. सामरिक भूगोल और 6. प्रजातीय भूगोल।

आर्थिक भूगोल परिभाषा 

आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। जिसमें मानव के आर्थिक क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाता है। मनुष्य के आर्थिक जीवन और आर्थिक वातावरण से संबंधित होती है। मनुष्य के उत्पादन से वितरित प्राकृतिक तत्वों एवं आर्थिक दशाओं के संबंधों का अध्ययन आर्थिक भूगोल कहलाता है।

     उन भौगोलिक और अन्य कारकों से संबंधित होते हैं जो मनुष्य की उत्पादकता को प्रभावित करते हैं, लेकिन वहां तक, जहां तक कि, वे उत्पादन और व्यापार से जुड़े रहते हैं। इस का अध्ययन इस बात की ओर संकेत करता है कि किस स्थान पर कौन सा विशेष उद्योग स्थापित किया जा सकता है।
आर्थिक भूगोल की कई अन्य उपशाखाएं भी हैं-
अ) कृषि भूगोल
ब) वाणिज्य भूगोल
स) संसाधन भूगोल
द) परिवहन भूगोल
य) विनिर्माण उद्योग

सामाजिक भूगोल परिभाषा

सामाजिक भूगोल, मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। यह शाखा सामाजिक सिद्धांत और समाजशास्त्रीय संकल्पना से संबंधित है। जिस विचार ने लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल की वह सामाजिक पृथ्वी में व्यक्त सामाजिक घटनाओं का विश्लेषण है। समाज के विविध तत्वों एवं प्रक्रियाओं का स्थानिक अध्ययन करती है।

राजनीतिक भूगोल परिभाषा

राजनीतिक भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। ये मानव भूगोल की वह शाखा है जो राजनितिक निषपत्ति के रूप में सामने आने वाले भौगोलिक स्वरूप और भौगोलिक स्वरूप द्वारा निर्धारित होने वाली राजनीति की प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। विश्लेषण के लिए त्रिस्तरीय संरचना का उपयोग किया जाता है। इसके अध्ययन के केंद्र में राष्ट्र होता है।

ऐतिहासिक भूगोल परिभाषा

ऐतिहासिक भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। किसी स्थान अथवा क्षेत्र की भूतकालीन भौगोलिक दशाओं का अध्ययन है। अपने अध्ययन क्षेत्र के सभी मानवीय और भौतिक पहलुओं का अध्ययन करता है। एक संश्लेषण अनुशासन है जो इतिहास , नृविज्ञान , पारिस्थितिकी , भूविज्ञान , पर्यावरण अध्ययन , साहित्यिक अध्ययन और अन्य क्षेत्रों को बताता है।

सामरिक भूगोल परिभाषा

सामरिक भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा हैं। राष्ट्र की सुरक्षा और समृद्धि पर प्रभाव क्षेत्रों पर नियंत्रण से संबंधित है। मानवीय आवश्यकताओं और विकास के साथ बदलता रहता है।

प्रजातीय भूगोल परिभाषा

प्रजातीय भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस भूगोल की शाखा में विभिन्न प्रकार की मानव जाति का अध्ययन किया जाता है। सके अन्तर्गत प्राणिशास्त्रीय अवधारणा के आधार पर मानव-प्रजातियों की उत्पत्ति, विकास, विश्व-वितरण तथा उनके स्थानान्तरणों एवं विभिन्न प्रजातियों के परम्परिक सम्मिश्रण का विवेचन करता हैं।

मानव भूगोल का विकास

जब से लोग इस पृथ्वी में आया है तब से इसका विकास चला या रहा है।  जबसे मनुष्य प्रकृति के साथ अंतरप्रक्रिया करना प्रारम्भ किया उस समय से मानव भूगोल के अध्ययन की जा रही है। इसका इतिहास काफी प्राचीन है। समय के साथ इसके उपागम में होते रहा है। खोज के युग से पहले विभिन्न समाजो के बीच अंतर्क्रिया लगभग नहीं के बराबर थी और एक दूसरे के विषय में ज्ञान काफी सीमित था। इतिहास मानव भूगोल के निम्न कड़ियों के द्वारा है।

मानव भूगोल का विषय क्षेत्र को समझाइए –

मानव भूगोल का विषय क्षेत्र अत्यंत व्यापक है भूगोल की इस शाखा में विभिन्न प्रदेशों में निवास करने वाले जनसंख्या के समूह एवं उनकी प्राकृतिक परिस्थितियों के पारस्परिक संबंधों की तार्किक विवेचना की जाती है अतः इसके अध्ययन के अंतर्गत निम्न पक्षों को सम्मिलित किया जाता है

  • किसी प्रदेश की जनसंख्या तथा उसकी क्षमता और मानव भूमि अनुपात।
  • प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों का मूल्यांकन।
  • प्रदेश में निवास करने वाले मानव समुदाय द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के शोषण एवं उपयोग से निर्मित संस्कृतिक भु दृश्य।
  • प्रदेश के प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण के कार्यात्मक संबंधों से उत्पन्न मानव वातावरण समायोजन का प्रारूप।
  • वातावरण समायोजन का समय अनुसार विकास तथा उसकी दिशा का इतिहास।
मानव भूगोल के उप-क्षेत्र कौन-कौन से हैं?

मानव भूगोल के उप-क्षेत्र में आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, सामाजिक भूगोल, रानीतिक भूगोल, एतिहासिक भूगोल ये सभी मानव भूगोल के उप-क्षेत्र हैं|

इस प्रकार, धरातल पर सभी मानवीय क्रियाकलापों का एक प्रदेश स्तर पर अध्ययन करना मानव भूगोल का विषय-क्षेत्र कहा जाता है। मानव स्वयं एक भौगोलिक कारक है, जो प्राकृतिक वातावरण द्वारा प्रदत्त संसाधनों का उपयोग करके अपना विकास करता है।

मानव भूगोल का उद्देश्य क्या है?

मानव भूगोल का प्रमुख लक्ष्य भौतिक एवं सांस्कृतिक परिस्थितियों तथा मनुष्य के क्रियाकलापों के मध्य समन्वय स्थापित करना होता है। मानव भूगोल का लक्ष्य या उद्देश्य यह भी है कि वह मानव तथा वातावरण को एक सम्पूर्ण इकाई मानकर इस पृथ्वी तल पर एकता का सिद्धान्त प्रस्तुत करता है। मानव भूगोल में जाति-भेद, समाज-भेद एवं अन्य भेदों के लिए विशेष स्थान नहीं है।

मानव भूगोल की परिभाषा किसने दी?

मानव भूगोल की परिभाषा कई लोगों द्वारा दी गई है। जिनके नाम है- कुमारी सेम्पल, लेबान, प्रो. हटिंगटन, फ्रांसीसी विद्वान प्रो. ब्लाश, डेविस, डिमाजियाँ, प्रो. जीन्स।

भूगोल का पिता कौन है?

भूगोल के पिता हिकैटियस (500 ईसा पूर्व) है।

मानव भूगोल का दूसरा नाम क्या है?

अधिवास भूगोल मानव भूगोल का दूसरा नाम है।

मानव भूगोल की स्थापना किसने की?

विडाल डी ला ब्लाश (1845-1918) तथा जीन ब्रून्ज (1869-1930) ने मानव भूगोल की स्थापना की थी।

मानव भूगोल का उदय कब हुआ?

18वीं शताब्दी से मानव भूगोल का उदय होने लगा।

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है की आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हम  Manav Bhugol ki Paribhasha के बारे में बात किए है। साथ ही भूगोल क्या है ये बताया गया है । इसके अलावा हमनें आपको इस विषय से जुड़ी कई जानकारी दी हैं। यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण है।